मुक़द्दर का सिकंदर - 1978
। 'सुख तो बेवफ़ा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है। दुख को अपना ले तब तक़दीर तेरे क़दमोंं में होगी और तू मुक़द्दर का बादशाह होगा।'.
कुली - 1983.
- 'बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं और नाम है 'इक़बाल'।'.
सत्ते पे सत्ता- 1982
'दारू पीता नहीं है अपुन, क्योंकि मालूम है दारू पीने से लीवर ख़राब हो जाता है !
अग्निपथ- 1990
'विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है। '
अंगार - 1992.
'ऐसे तोहफ़े (बंदूकें) देने वाला दोस्त नहीं होता है, तेरे बाप ने 40 साल मुंबई पर हुकूमत की है इन खिलौनों के बल पर नहीं, अपने दम पर। '
बाप नंबरी बेटा दस नंबरी
- लानत है, ना पेट में दाना है, ना लोटे में पानी है, ना बंडल में बीडी है, ना माचिस में तीली है-
मुकद्दर का सिकंदर
जिंदा हैं वो लोग जो मौत से टकराते हैं। मुर्दों से बदतर हैं वो लोग जो मौत से घबराते हैं।
अपन फेमस आदमी। बड़ा-बड़ा पेपर में अपनका छोटा-छोटा फोटो छपता है। लकी मैन।
ऐसा तो आदमी लाइफ में दोईच टाइम भागता है, ओलिंपिक का रेस हो या पुलिस का केस हो...'
कादर खान यांना श्रद्धांजली !